Two Life lessons by wise man.
1) Learn to let go of pain.
“A wise man sat in the audience and cracked a joke.
Every body laughs like crazy.
After a moment he cracked the same joke again. This time less people laughed. He cracked the same joke again and again. Where there is no laughter in the crowd.
He smiled and said:
You can’t laugh at the same joke again and again,but why do you keep crying over the same thing over and over again?”
2) THE TASTE OF PAIN
Once an unhappy man came to the wise man and told him that he had a very sad life and asked for a solution.
The wise man instructed the unhappy man to put a handful of salt in a glass of water and then to drink it.
“How does it taste?” – the wise man asked.
“Terrible.” – spat the unhappy man.
The wise man chuckled and then asked the unhappy man to take another handful of salt and put it in the lake. The two walked in silence to the nearby lake and when the unhappy man swirled his handful of salt into the lake.
The wise man said, “Now drink from the lake.”
As the water dripped down the unhappy man’s chin, the wise man asked, “How does it taste?”
“Good!” – remarked the unhappy man.
“Do you taste the salt?” – asked the wise man.
“No.” – said the unhappy man.
The wise man sat beside this unhappy man, took his hands, and said, “The pain of life is pure salt; no more, no less. The amount of pain in life remains the same, exactly the same. But the amount we taste the ‘pain’ depends on the container we put it into. So when you are in pain, the only thing you can do is to enlarge your sense of things. Stop being a glass. Become a lake.”
MORAL : LEARN TO LET GO OF PAIN.
बुद्धिमान व्यक्ति द्वारा दो जीवन सबक।
1) दर्द को जाने देना सीखो।
“एक बुद्धिमान व्यक्ति ने दर्शकों में बैठकर एक चुटकुला सुनाया।
सब लोग पागलों की तरह हंसते है।
एक पल के बाद उसने फिर से वही मजाक किया। इस बार कम लोग हंसे। उसने बार-बार वही चुटकुला सुनाया। जब तक वहाँ भीड़ में कोईभी हँसी न सुनाई दी।
फिर उसने मुस्कुरा कर कहा:
आप एक ही मजाक पर बार-बार हँस नहीं सकते हो, तो फिर आप बार-बार एक ही बात पर क्यों रोते रहते हो? “
2) दर्द का स्वाद
एक बार एक दुखी आदमी बुद्धिमान व्यक्ति के पास आया और उसे बताया कि उसके पास बहुत दुखद जीवन है और उसने इसका समाधान पूछा।
बुद्धिमान व्यक्ति ने दुखी आदमी को एक गिलास पानी में एक मुट्ठी नमक डालने और फिर उसे पीने का निर्देश दिया।
“स्वाद कैसा लगा?” – बुद्धिमान व्यक्ति ने पूछा।
“भयानक।” – दुखी आदमी ने कहा।
बुद्धिमान व्यक्ति ने फिर दुखी आदमी से एक और मुट्ठी भर नमक लेने और झील में डालने के लिए कहा। दोनों चुपचाप पास की झील में चले गए और जब दुखी आदमी ने अपने मुट्ठी भर नमक को झील में बहा दिया।
बुद्धिमान व्यक्ति ने कहा, “अब इस झील का पानी पीकर देखो।”
जैसा बुद्धिमान व्यक्ति ने बताया दुखी आदमी ने ठीक वैसा ही किया।
बुद्धिमान व्यक्ति ने पूछा, “इसका स्वाद कैसा है?”
“अच्छा!” – दुखी आदमीने टिप्पणी की।
“क्या आप इस पानीमें नमक का स्वाद ले सकते हैं?” – बुद्धिमान व्यक्ति से पूछा।
“नहीं।” – दुखी आदमी ने कहा।
बुद्धिमान आदमी इस दुखी आदमी के पास बैठ गया, उसका हाथ लिया, और कहा, “जीवन का दर्द शुद्ध नमक है; ना ज्य़ादा ना कम। जीवन में दर्द की मात्रा वही रहती है, बिल्कुल वही। लेकिन जिस मात्रा में हम ’दर्द का स्वाद लेते हैं’ वह उस पात्र पर निर्भर करता है जिसे हम इसमें डालते हैं। इसलिए जब आप दर्द में होते हैं, तो केवल एक चीज जो आप कर सकते हैं वह है अपनी चीजों को समझना।
एक गिलास होना बंद करो। झील बन जाओ। ”
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